उन का मँगता हूँ जो मँगता नहीं होने देते
ये हवाले मुझे रुस्वा नहीं होने देतेउन का मँगता हूँ जो मँगता नहीं होने देते
मेरे हर ऐब की करते हैं वो पर्दा-पोशी
मेरे जुर्मों का तमाशा नहीं होने देतेउन का मँगता हूँ जो मँगता नहीं होने देते
अपने मँगतों की वो फ़िहरिस्त में रखते हैं सदा
मुझ को मोहताज किसी का नहीं होने देतेउन का मँगता हूँ जो मँगता नहीं होने देते
है ये ईमान के आएँगे लहद में मेरी
अपने मँगतों को वो तन्हा नहीं होने देतेउन का मँगता हूँ जो मँगता नहीं होने देते
नात पढ़ता हूँ तो आती है महक तयबा की
मेरे लहजे को वो मैला नहीं होने देतेउन का मँगता हूँ जो मँगता नहीं होने देते
आप की याद से रहती है नमी आँखों में
मेरे दरियाओं को सहरा नहीं होने देतेउन का मँगता हूँ जो मँगता नहीं होने देते
हुक्म करते हैं तो मिलते हैं ये मक़्ते शाकिर !
आप न चाहें तो मतला नहीं होने देतेशायर: