दर पर हाजिर है हम, किजीयेगा करम हम पे हरदम अस्सलामे रसूले मौअज्जम
सुबह सादिक ये पैगाम लाई लो सवारी मोहम्मद की आई डालियां झुक गई,
कलिया खिल गईं बोली शबनम अस्सलाम ए रसूल ए मौअज्जम
तुमने दुनिया में जलवे दिखाकर रोशनी की अंधेरों में जा कर भूला भटका हुआ
राहे हक्क पा गया सारा आलम अस्सलाम ए रसूल ए मौअज्जम
छोड़कर अब तेरा आस्ताना कर्बला जा रहा हूं मैं नाना दीन ए हक पर है गर्दन कटाना कर्बला जा रहा हूं
मैं नाना बात जब यह सुनी तो फिरीस्तो की भी आंखें हैं नम अस्सलाम ए रसूल ए मौअज्जम
साथ निकला है भाई भतीजा सर पर बांधे कफ़न बच्चा बच्चा कह रहा है यह पूरा घराना कर्बला जा रहा हूं
मैं नाना बोले अकबर भी ये नाना तेरे लिए जां भी है कम अस्सलाम ए रसूले मौअज्जम
या शफि उलवरा अब खबर लो या शाहे हुदा अब खबर लो हम मुसलमानों पर
हो करम की नजर जाने आलम अस्सला में रसूले मौअज्जम