हर वक़्त तसव्वुर में मदीने की गली हो
और याद मुहम्मद की मेरे दिल में बसी हो
ए काश! तसव्वुर में मदीने की गली हो
और याद–ए–मुहम्मद भी मेरे दिल में बसी हो
दो सोज़–ए–बिलाल, आक़ा! मिले दर्द रज़ा सा
सरकार! ‘अता ‘इश्क़–ए–उवैस–ए–क़रनी हो
ए काश! मैं बन जाऊँ मदीने के मुसाफ़िर
फिर रोती हुई तयबा को बारात चली हो
ए काश! मदीने में मुझे मौत यूँ आए
चौखट पे तेरी सर हो, मेरी रूह चली हो
जब ले के चलो गोर–ए–ग़रीबाँ को जनाज़ा
कुछ ख़ाक मदीने की मेरे मुँह पे सजी हो
जिस वक़्त नकीरैन मेरी क़ब्र में आएँ
उस वक़्त मेरे लब पे सजी ना’त–ए–नबी हो
आक़ा का गदा हूँ, ए जहन्नम ! तू भी सुन ले
वो कैसे जले जो कि ग़ुलाम–ए–मदनी हो
आक़ा की शफ़ा’अत से तो जन्नत ही मिलेगी
ए काश! कि क़दमों में जगह उन के मिली हो
अल्लाह की रहमत से तो जन्नत ही मिलेगी
ए काश! महल्ले में जगह उन के मिली हो
अल्लाह करम ऐसा करे तुझ पे जहाँ में
ए दा’वत–ए–इस्लामी! तेरी धूम मची हो
‘अत्तार हमारा है, सर-ए-हश्र इसे, काश !
दस्त-ए-शह-ए-बतहा से यही चिठ्ठी मिली हो
The famous Naat Har Waqt Tasawwur Mein by Muhammad Owais Raza Qadri wrote the lyrics to the brand-new Sufi song Har Waqt Tasawwur Mein Naat, which was published in 2021. Muhammad Owais Raza Qadri sings the song har Waqt tasawwur mein complete naat, while Muhammad Ilyas Attar Qadri wrote the lyrics.